बेल्हान टोला की सड़क बनी सियासत की बलि! जनप्रतिनिधि गूंगे, प्रशासन बहरे , गांव कीचड़ में फंसा, उम्मीदें मर रहीं...
@shubhangi.namdeo ✒️
शहडोल। जनपद पंचायत जयसिंहनगर की ग्राम पंचायत मुंडिया टोला के बेल्हान टोला में सड़क की मांग अब सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि एक सालों से चला आ रहा संघर्ष बन चुका है। जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और प्रशासन की उदासीनता ने गांव को मानो नक्शे से काटकर अलग कर दिया है। और जब उम्मीदें बार-बार तोड़ी जाती हैं, तब विरोध की चिंगारी आग बनकर भड़कती है — ठीक वैसा ही हुआ बेल्हान टोला में, जहां ग्रामीणों ने कंधे पर जिम्मेदारी उठाई और कीचड़ में उतरकर सड़क पर विरोध दर्ज कराया।
वोट मांगने सब आते हैं, सड़क बनवाने कोई नहीं
हर चुनाव से पहले गांव की सड़क पर नेता जरूर पहुंचते हैं — हाथ जोड़कर वादा करते हैं, “सरकार बनते ही सड़क बनेगी” — लेकिन चुनाव बीतते ही न नेता दिखते हैं, न वादे। ग्रामीणों ने सीधे-सीधे सांसद, विधायक और जनपद प्रतिनिधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि "हमारे वोट तो सबको चाहिए, लेकिन हमारी तकलीफ किसी को नहीं दिखती।"
प्रशासन भी बना ‘फाइलों’ का गुलाम
कलेक्टर से लेकर जनपद सीईओ तक हर स्तर पर ग्रामीणों ने दरख़ास्त दी, ज्ञापन सौंपा, गुहार लगाई , मगर हर बार “अभी प्रस्ताव बन रहा है”, “बजट नहीं आया”, “टेंडर की प्रक्रिया जारी है” जैसे रटे-रटाए जवाब मिले। धरातल पर काम शून्य है और गांव कीचड़ में धंसा हुआ है।
सड़क नहीं, गांव में जीवन संकट में
बरसात में सड़क की हालत ऐसी हो जाती है कि राशन लाना, बच्चों का स्कूल जाना, बीमार को अस्पताल ले जाना — सब कुछ थम जाता है। गांव का जीवन ठहर जाता है और जनप्रतिनिधि सोशल मीडिया पर विकास की झूठी तस्वीरें डालते रहते हैं।
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🔥अब सड़क चाहिए, वादा नहीं’ – ग्रामीणों की हुंकार
बेल्हान टोला के लोगों ने इस बार मिट्टी और कीचड़ में उतरकर अपने विरोध को जीवंत बना दिया। नारों के साथ बैनर लेकर सड़क पर खड़े हुए ग्रामीणों ने साफ कहा "अब झूठे वादों से पेट नहीं भरता, हमें पक्की सड़क चाहिए, दिखावे नहीं
📢 क्या शहडोल प्रशासन और जनप्रतिनिधि अब भी खामोश रहेंगे? या बेल्हान टोला के कीचड़ में डूबती जिम्मेदारियों की सच्चाई से उनका चेहरा बेनकाब होगा?
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