संपादकीय:-बदलता मौसम चेतावनी या नई शुरुआत ? कही अपना मार्ग तो नहीं भूल गया मौसम...
@ajayarvind.namdeo✒️
इन दिनों जब मई-जून की तपती गर्मी अपने चरम पर होनी चाहिए थी, लेकिन आसमान में बादल उमड़ते हैं और बारिश की फुहारें धरती को भिगो देती हैं, यह दृश्य भले ही कुछ पल को राहत दे, लेकिन यह एक बड़ी और गंभीर चिंता का संकेत है,
अब वह समय दूर नहीं जब जून-जुलाई की गर्मी की जगह बारिश होगी और नवंबर-दिसंबर में लोग गर्मी से बेहाल होंगे, सोचिए, जब किसान फसल बोने के मौसम को न पहचान पाएंगे, जब बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में बारिश से खेलना पड़ेगा, तब क्या हम केवल ‘मौसम बदल रहा है’ कहकर संतोष कर पाएंगे?
मौसम चक्र का असंतुलन....बिन मौसम बारिश अब कोई अजूबा नहीं रही, हर साल मौसम में बदलाव की तीव्रता और अनियमितता बढ़ती जा रही है। जहां एक समय मई-जून का मतलब होता था झुलसा देने वाली गर्मी, वहीं अब इन महीनों में बादल बरसने लगे हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानो मौसम अपना मार्ग भूल गया हो वैज्ञानिक और पर्यावरणविद वर्षों से इस स्थिति की चेतावनी देते आ रहे हैं, और अब वह भयावह सच्चाई बनकर सामने है...
इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ा कारण है। मानव का प्रकृति से खिलवाड़, लगातार हो रही पेड़ों की कटाई, तेजी से फैलता शहरीकरण, और बढ़ता प्रदूषण हमारे पर्यावरण को इस कदर जख्मी कर चुके हैं कि प्रकृति अब अपनी भाषा में प्रतिक्रिया दे रही है। ग्लोबल वॉर्मिंग, कार्बन उत्सर्जन और हरियाली की घटती मात्रा ने मौसम के प्राकृतिक संतुलन को तहस-नहस कर दिया है।
यह बदलाव सिर्फ प्राकृतिक घटना नहीं है, यह हमारे कार्यों का परिणाम है। हमें यह समझना होगा कि यदि हम अब भी नहीं चेते, तो समय का चक्र हमारी समझ और नियंत्रण से बाहर हो जाएगा। यह समय है जागने का, जिम्मेदारी लेने का और मिलकर काम करने का।
हर पेड़ जो आज बचाया जाएगा, हर गाड़ी जो कम चलाई जाएगी, हर वह कदम जो पर्यावरण की भलाई के लिए उठेगा, वह भविष्य के मौसम को स्थिर रखने की दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण प्रयास होगा...
✒️ajayarvind.namdeo
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