देवलौंद हादसों से नहीं लिया सबक: शहडोल में फिर पिकअप में जानवरों की तरह भरे गए लोग, पुलिस-आरटीओ बने मूकदर्शक...

@shubhangi.com✒️
शहडोल। अभी हाल ही में शहडोल जिले के देवलौंद थाना क्षेत्र में बारातियों से भरी पिकअप पलटने से 5 लोगों की दर्दनाक मौत ने पूरे क्षेत्र को झकझोरा था, बावजूद इसके, न तो पुलिस प्रशासन ने सबक लिया और न ही परिवहन विभाग (आरटीओ) ने, ताजा मामला जिले के धनपुरी थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां क्षमता से अधिक लोगों को जानवरों की तरह पिकअप वाहन में भरकर वैवाहिक कार्यक्रम में ले जाया गया,सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि यह सब कुछ धनपुरी थाने के सामने से होता हुआ गुजर गया, लेकिन पुलिस ने आंखें मूंद लीं। मानो प्रशासनिक व्यवस्था ने हादसों को न्यौता देने की खुली छूट दे दी हो।

थाने के सामने से खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते निकले वाहन
ताजा मामला शहडोल जिले के धनपुरी थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक पिकअप वाहन में क्षमता से कई गुना अधिक लोगों को जानवरों की तरह ठूंस-ठूंसकर वैवाहिक कार्यक्रम में ले जाया गया। हैरत की बात यह रही कि यह वाहन धनपुरी थाने के बिल्कुल सामने से निकला, लेकिन पुलिस ने आंखें मूंद लीं। न कोई जांच, न कोई रोक-टोक। मानो नियमों का खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा हो और जिम्मेदार विभाग मौन साधे बैठे हों।

खुलेआम चुनौती देते वाहन चालक

क्षेत्र में पिकअप वाहन चालक अब बेखौफ हो चुके हैं। उन्हें न तो पुलिस का डर है और न ही आरटीओ का। वे थाने के सामने से क्षमता से कई गुना अधिक लोगों को जानवरों की तरह ठूंसकर वाहन चलाते हुए गुजरते हैं, जैसे उन्हें पता हो कि कोई उन्हें रोकने वाला नहीं है। यह स्थिति कानून और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

क्या देवलौंद जैसे और भी हादसे होने का इंतजार कर रही हैं प्रशासनिक मशीनरी?

देवलौंद हादसे के बाद प्रशासन को चाहिए था कि जिलेभर में ऐसे अवैध परिवहन पर सख्त कार्रवाई करता, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे ठीक उलट है। न तो चेकिंग अभियान चलाए जा रहे हैं और न ही क्षमता से अधिक सवारी भरने वाले वाहनों पर कोई कार्यवाही हो रही है।स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर पहले से ही सख्ती बरती जाती तो पांच निर्दोष जानें नहीं जातीं। अब भी लापरवाही जारी है, जिससे साफ होता है कि प्रशासनिक अमला जानबूझकर या तो अनदेखी कर रहा है या गंभीरता से मामले को नहीं ले रहा।

हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय हो..

अवैध तरीके से सवारी ढोने वाले वाहनों पर तत्काल सख्त कार्रवाई हो...

आरटीओ अधिकारियों पर भी कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही हो...

बड़े आयोजनों के लिए सुरक्षित यातायात व्यवस्था अनिवार्य की जाए...

पुलिस और आरटीओ की कार्यशैली पर बड़े सवाल

इस मामले ने पुलिस और आरटीओ विभाग की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। देवलौंद हादसे से सबक लेने के बजाय अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं। आरटीओ का काम सिर्फ कागजी खानापूर्ति और चालान काटने तक सीमित रह गया है, जबकि असल समस्या – क्षमता से अधिक सवारी ले जाने पर – कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

जनता में गुस्सा

स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि पुलिस और आरटीओ विभाग ने पहले से ही ऐसे गैरकानूनी परिवहन पर सख्ती बरती होती, तो कई कीमती जानें बचाई जा सकती थीं। लेकिन यहां तो हालात इतने बदतर हो गए हैं कि थाने के सामने से भी नियमों का धज्जियां उड़ाते वाहन बिना किसी रोकटोक के गुजर रहे हैं।

सख्त कार्रवाई की उठी मांग 

शहडोल जिले के जागरूक नागरिकों ने पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर से मांग की है कि ऐसे वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, वाहन चालकों के लाइसेंस रद्द किए जाएं और संबंधित थाना प्रभारी और आरटीओ अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। साथ ही बारात, वैवाहिक कार्यक्रम या अन्य आयोजनों के लिए सुरक्षित यातायात व्यवस्था सुनिश्चित की जाए...

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